Monday, October 03, 2005

दो शेर

कुछ दिनों पहले अपनी डायरी के पन्ने पलटते हुए बशीर बद्र के ये दो शेर पढे। आप भी सुनिए

सब हवाएँ ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझको एक कश्ती बादबानी दे गया।
(बादबानी कश्ती = Sailboat)

कोई हाथ भी ना मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये हादसों का शहर है, ज़रा फ़ासले से मिला करो।

0 Comments:

Post a Comment

<< Home