दो शेर
कुछ दिनों पहले अपनी डायरी के पन्ने पलटते हुए बशीर बद्र के ये दो शेर पढे। आप भी सुनिए
सब हवाएँ ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझको एक कश्ती बादबानी दे गया।
(बादबानी कश्ती = Sailboat)
कोई हाथ भी ना मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये हादसों का शहर है, ज़रा फ़ासले से मिला करो।
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