Wednesday, October 12, 2005

विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

नई सुबह

नई सुबह फिर आई है
कुछ नए संदेशे लाई है
नई सुबह फिर आई है

नव रवि की ये नवीन किरणें
नव प्रभात की मंगल किरणें
कुछ बादल के परे बुलाती
कुछ खिडकी तक आती किरणें
भरें प्राण सोए जीवन में
अब जग ने ली अंगडाई है
नई सुबह फिर आई है

जागे पंछी और गीत सुनाएँ
बौछारें बादल से आएँ
तितलियों से फिर रंग चुराकर
देखो इंन्द्रधनुष वो बनाएँ
दुनिया के इस रंगमंच पर
अदभुत तस्वीर बनाई है
नई सुबह फिर आई है

अब ना हो वो बीती बातें
शाम की दर्द भरी वो यादें
मुस्कुरा भी दो अब तुम दिल से
गुज़र गई वो काली रातें
बनाएंगे कल आज से बेहतर
दिल में उम्मीद जगाई है
नई सुबह फिर आई है

नई सुबह फिर आई है
कुछ नए संदेशे लाई है
नई सुबह फिर आई है

1 Comments:

Anonymous Anonymous said...

Seems like new appartment is really brining dramatic changes, ray of light revisited... jaga hua kavi nit nayi kirnon ka parinam hai jo roz subah seedhe deemaag par padti hain...

rajurkar

6:35 PM, October 13, 2005  

Post a Comment

<< Home