बस दो ही लफ़्ज
पिंजरेनुमा खिडकी से बाहर झांकती आँखें बडी अच्छी लगती हैं
उनमें स्याह-सफेद बादल की परछाइयां बडी सच्ची लगती हैं
है ख्वाबों की चमक उनमें पर खुशबू से जरा कच्ची लगती हैं
उम्मीदें और सपने, बस दो ही लफ़्ज हैं जो जिंदगी को बनाते हैं
किनारे पर आती लहरें सागर पार चलने का निमंत्रण है
सितारों से आती हर किरण आकाश छू लेने का आमंत्रण है
चल दो मंजिल की तरफ क्यों फिज़ूल का नियंत्रण है
हौसला और विश्वास, बस दो ही लफ़्ज हैं जो जिंदगी को चलाते हैं
बन के टूटना बिखरना, बिखर के बनना इंसान की फितरत है
मिले जो यूँ ही खैरात में, मुझे नागवार वो शोहरत है
हर टूटे हुए इंसान को फिर इक कोशिश की जरुरत है
लगन और मेहनत, बस दो ही लफ़्ज हैं जो जिंदगी को बढाते हैं
बच्चों के बीच रहकर इंसान बदल जाता है
हर मासूम मुस्कान में आने वाला कल मुस्कुराता है
दुनिया का भविष्य बडा उज्जवल नजर आता है
सच्चाई और इंसानियत, बस दो ही लफ़्ज हैं जो जिंदगी को चमकाते हैं
है प्यार जिसके दिल में उसे सारी दुनिया अज़ीज़ है
है इंतजार आँखों में फिर भी कोई दिल के करीब है
करो समझने की कोशिश तो ये सब कुछ अजीब है
प्यार और बस प्यार, एक ही लफ़्ज हैं जिससे जिंदगी जिन्दा है
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