आत्म अवलोकन
सपने टूटने के एहसास से जो रुदन होता है
उसी दुख नए स्वप्न का सृजन होता है
यह न सोच कभी कि ईश्वर विरुद्ध है तेरे
इसी पल तो वो सबसे अंतरंग होता है
ना मिले मंजिल जो बरसों चलने के बाद भी
रख भरोसा देरी का कुछ तो कारण होता है
कभी आँखों में चमक कभी उदासी की नमी
है जरुरी तभी तो ये परिवर्तन होता है
ढूँढ अपने अंदर ही इस दर्द की वजह
बाहर तो सिर्फ अंदर का प्रतिबिम्ब होता है
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