Wednesday, March 15, 2006

होली मुबारक

आ गए रंग, छा गए रंग
हरे, लाल और पीले रंग
उठे हर घर हर कोने से
हर दिल को ये भा गए रंग

सूखे हों या गीले रंग
कच्चे हों या पक्के रंग
फिर किसी का प्यार लेकर
कुछ बतलाने आ गए रंग

कहीं खिलाए गुजिया रंग
कहीं पिलाए ठंडाई रंग
कहीं पे मित्रों की टोली पर
चढ जाए है भंग का रंग

हर रिश्ते में डाले रंग
सम्मान, दोस्ती, प्यार का रंग
देवर-भाभी जीजा-साली
छेडखानी मस्ती का रंग

आंखों में सपनों के रंग
दिल में हैं विश्वास के रंग
जिसने जीना नहीं है सीखा
होली से कुछ चुरा ले रंग

हर दिन का है अपना रंग
हर पल का है अपना रंग
सदियों से है हर बरस है आता
नया फिर भी होली का रंग