Saturday, September 22, 2007

आत्म अवलोकन

सपने टूटने के एहसास से जो रुदन होता है
उसी दुख नए स्वप्न का सृजन होता है

यह न सोच कभी कि ईश्वर विरुद्ध है तेरे
इसी पल तो वो सबसे अंतरंग होता है

ना मिले मंजिल जो बरसों चलने के बाद भी
रख भरोसा देरी का कुछ तो कारण होता है

कभी आँखों में चमक कभी उदासी की नमी
है जरुरी तभी तो ये परिवर्तन होता है

ढूँढ अपने अंदर ही इस दर्द की वजह
बाहर तो सिर्फ अंदर का प्रतिबिम्ब होता है